
आयुष्मान भारत योजना से जुड़े कथित भ्रष्टाचार मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। रांची सदर अस्पताल में पदस्थापित जिला समन्वयक आशीष रंजन के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान 16.50 लाख रुपये नकद बरामद किए गए। आशीष की शैक्षणिक योग्यता और नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर पहले से ही विभागीय जांच चल रही है।
शुक्रवार सुबह शुरू हुई यह छापेमारी देर रात तक जारी रही, जिसमें कुल 21 स्थानों पर तलाशी ली गई। इस दौरान ED ने कुल 18.50 लाख रुपये जब्त किए, जिनमें से 2 लाख रुपये ओम प्रकाश नामक व्यक्ति के घर से मिले। ओम प्रकाश के यहां से फ्लैट और जमीन से जुड़े दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
ED ने थर्ड पार्टी असेसमेंट से जुड़ी कंपनियों के ठिकानों से लैपटॉप, डिजिटल डिवाइस और कई अहम दस्तावेज भी जब्त किए हैं, जो योजना में गड़बड़ी की पुष्टि कर सकते हैं।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जिन आशीष रंजन के यहां से 16.50 लाख रुपये नकद मिले, उनकी मासिक सैलरी मात्र 50 हजार रुपये है। जांच एजेंसियों को संदेह है कि यह रकम योजना में की गई अवैध वसूली का एक छोटा हिस्सा मात्र है।
बताया गया है कि आशीष की नियुक्ति वर्ष 2019 में तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. विजय विहारी प्रसाद के कार्यकाल में हुई थी। नियमों के अनुसार, इस पद के लिए एमबीए की डिग्री अनिवार्य थी, लेकिन आशीष ने कथित रूप से दरभंगा के एक संस्थान से फर्जी एमबीए डिग्री लगाई थी।
उन पर न सिर्फ योजना में अनियमितता करने बल्कि गलत तरीके से इंसेंटिव लेने के भी गंभीर आरोप हैं। ED पूरे घोटाले में उनकी भूमिका की गहराई से जांच कर रही है।